क्या फोन को तकिया के पास रखते हो ? सावधान ! यह गंभीर बीमारिया

मोबाइल फोन आजकल लोगों के जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। कई लोगों को रात में सोते समय अपने मोबाइल फोन को अपने सिर के पास रखकर सोने की आदत होती है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो सावधान रहें। क्योंकि यह एक खतरे का संकेत है और ऐसा करने में आपको सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि आपका स्मार्टफोन आपको गंभीर बीमारियां दे रहा है।
क्या फोन को तकिया के पास रखते हो ? सावधान


ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर के शोध में पाया गया है कि स्मार्टफोन से निकलने वाले विकिरण से कैंसर और नपुंसकता का खतरा बढ़ जाता है। इंटरनेशनल कैंसर रिसर्च एजेंसी ने स्मार्टफोन से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन को कैसरजन की श्रेणी में रखा है।

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ICRA चेतावनी देता है कि स्मार्ट फोन के अधिक उपयोग से कान और मस्तिष्क के ट्यूमर में सूजन हो सकती है और समय के साथ कैंसर हो सकता है। 2014 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्ट फोन से निकलने वाले इलेक्ट्रो-मैग्नेटिक रेडिएशन का सीधा संबंध नपुंसकता से है।

अंधेरे में मोबाइल का इस्तेमाल करने से होता है यह नुकसान

थकान: रात में देर तक मोबाइल फोन का उपयोग करने से नींद पूरी नहीं होती है, जिसके कारण दिन भर थकान होती है और इसका असर आपको अगले दिन दिखाई देता है।

दिमाग पर असर: ब्रेन ट्यूमर का खतरा है और इससे याददाश्त कमजोर होने की भी संभावना है।

तनाव में बढ़ाव: देर रात मोबाइल मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर को कम करता है, जिससे तनाव बढ़ता है।

आंखों की रोशनी का कम होना: रात में सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल करने से आंख की रेटिना पर बुरा असर पड़ता है।

आंखों में लालिमा: देर रात मोबाइल या टैबलेट का इस्तेमाल करने से आंखों में लालिमा हो सकती है।

अपर्याप्त नींद: रात में बिस्तर पर जाने से पहले मोबाइल फोन का उपयोग करने से शरीर में हार्मोन मेलाटोनिन का स्तर कम हो सकता है। इससे नींद की कमी हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि पैंट की जेब में स्मार्ट फोन रखने से शुक्राणु का उत्पादन कम हो जाता है। यह अंडों के निषेचन को धीमा कर देता है। यदि आप एक तकिया के नीचे अपने फोन के साथ सोते हैं, तो उस आदत को रोकना चाहिए। ऐसा करने से आपका स्मार्ट फोन फट सकता है।

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इसके अलावा, इसराइल में हाइफ़ा विश्वविद्यालय के एक 2017 के अध्ययन ने सुझाव दिया कि बिस्तर पर जाने से आधे घंटे पहले स्क्रीन को रोक दिया जाना चाहिए। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मार्टफोन, कंप्यूटर और टीवी स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी 'स्लीप हार्मोन' मेलाटोनिन के उत्पादन को रोकती है। इससे लोगों को सोने में परेशानी होती है।
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