देश का सबसे बड़ा दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे

देश की राजधानी दिल्ली को आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़ने वाला Country Longest Expressway (देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे) कैसे तैयार हुआ है, यह जानने के लिए भास्कर की टीम ने इस निर्माणाधीन Expressway (एक्सप्रेस-वे) का मुआयना किया। भास्कर की टीम को NHAI (एनएचएआई) की टीम ने विशेष अनुमति दी। यात्रा के दौरान 1355 किलोमीटर हाइवे में से 8 लेन वाला 738 किलोमीटर लंबा Greenfield Expressway (ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे) लगभग तैयार हो चुका है। सबसे तेज काम मध्यप्रदेश में देखने को मिला। यहां 244 किमी में से 240 किमी लंबी सड़क तैयार हो चुकी है।

देश का सबसे बड़ा दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे



सबसे अच्छी बात यह है कि इस एक्सप्रेसवे का 540 किमी लंबा हिस्सा इसी साल खुल जाएगा। यानी जिन राज्यों में काम पूरा हो चुका है, वहां के लोग इसका फायदा उठा सकते हैं। यह इसी महीने 229 किलोमीटर लंबे दिल्ली-जयपुर/दौसा रूट पर शुरू होगी। 100 किमी लंबा वड़ोदरा-अंकलेश्वर राजमार्ग मार्च में और 211 किमी लंबा झालावाड़-एमपी/गुजरात राजमार्ग जून में खोला जाएगा।

एक बार एक्सप्रेस वे बन जाने के बाद दिल्ली-मुंबई का सफर 12 घंटे में पूरा होगा, जिसमें अभी 25 घंटे लगते हैं। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे की कार्यप्रणाली को परखने के लिए भास्कर की टीम ने 5 दिन में करीब 1750 किमी का सफर तय किया।

देश का सबसे बड़ा दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे

कई मौके ऐसे आए जब निर्माणाधीन एक्सप्रेस-वे पर गतिरोध के कारण टीम को 30 से 40 किलोमीटर पीछे हटना पड़ा। कई जगह उबड़-खाबड़ रास्तों पर भटकने के बाद मुख्य सड़क मिली। खास बात ये भी देखने को मिली कि इस प्रोजेक्ट के पूरा होते देख अब राज्यों की योजनाएं भी इसका फायदा उठाने को तैयार हैं। इसमें एक्सप्रेसवे से जुड़ने के लिए 4 से 6 लेन की सड़क है और औद्योगिक कॉरिडोर के लिए भी जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है। इसमें मध्यप्रदेश और राजस्थान ने प्रगति की है।

इन दोनों राज्यों ने अपने शहरों को इस एक्सप्रेसवे से जोड़ने के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से कई परियोजनाओं की मंजूरी हासिल की है। उदाहरण के लिए, हरियाणा के पनियाला से राजस्थान के अलवर तक 86 किमी छह लेन की सड़क पर काम मार्च में शुरू होगा।

इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा के वाहनों को दिल्ली-मुंबई की सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी। यह 1388 करोड़ का प्रोजेक्ट है। राजस्थान सरकार ने अलवर से भरतपुर तक सिक्स लेन सड़क परियोजना का प्रस्ताव एनएचएआई को भेजा था, जिसे स्वीकृति मिल गई है। इससे दिल्ली से आने वाले लोग सीधे भरतपुर-आगरा जा सकेंगे।

इसी तरह इस एक्सप्रेस-वे का लाभ उठाने के लिए मध्यप्रदेश के रतलाम में 1800 हेक्टेयर में मल्टी लॉजिस्टिक पार्क बनाया जा रहा है। 3500 करोड़ की इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का काम चल रहा है। मंदसौर-रतलाम-झाबुआ-उज्जैन-धार में 10 फोर लेन सड़कों की योजना तैयार की जा रही है जो एक्सप्रेस-वे से जुड़ेंगी।

इसकी कुल लंबाई 650 किमी होगी। इस Delhi Mumbai Expressway पर काम तेज कर दिया गया है। इसके पूरा होने की समय सीमा जून 2024 है, लेकिन गडकरी की घोषणा के बाद इसे दिसंबर 2023 में ही पूरा करने की पूरी तैयारी की जा रही है। एक्सप्रेसवे के खुलने से दिल्ली से मुंबई की यात्रा का समय आधा हो जाएगा। अभी तक 25 घंटे लगते थे, अब 12 घंटे लगेंगे।

एक्सप्रेसवे को तेजी से पूरा करने के लिए इसे 54 भागों में विभाजित कर 23 फर्मों को सौंपा गया है। एक्सप्रेसवे पर अधिकतम गति 120 किमी/घंटा होगी। सरकार का अनुमान है कि हाईवे के खुल जाने के बाद टोल राजस्व सालाना 12 से 18 करोड़ रुपए हो जाएगा।

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यह एक्सप्रेसवे बुनियादी ढांचे, कृषि और वाणिज्यिक उत्पादन के विकास को बढ़ावा देगा। एक्सप्रेस-वे के पास लॉजिस्टिक्स, बिजनेस पार्क और इंडस्ट्रियल क्लस्टर राज्यों की अर्थव्यवस्था को नई ताकत देंगे। इस क्षेत्र में फैले कपड़ा, रसायन और कृषि उद्योगों को नई दिशा मिलेगी। इससे लॉजिस्टिक कॉस्ट कम होगी। इन शहरों में निवेश के लिए इकोसिस्टम तैयार होगा।

ऐसे तैयार किया जा रहा है एक्सप्रेसवे

12 लाख टन स्टील का इस्तेमाल होगा। इससे 50 हावड़ा ब्रिज बनाए जा सकते हैं।
80 लाख टन सीमेंट, 350 स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनाने के लिए पर्याप्त है।
कार्बन उत्सर्जन को रोकने के लिए 2 करोड़ पेड़ों की जरूरत होगी, हर साल इतना ईंधन बचेगा।

फाइटर जेट भी 55 जगहों पर उतर सकते हैं

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे छह राज्यों दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरता है।
1355 किमी लंबे एक्सप्रेसवे में से 738 किमी पहले ही पूरा हो चुका है।
सड़क का काम चल रहा है। 65 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
दिल्ली से जेवर हवाई अड्डे (नोएडा) को जोड़ा जा रहा है, जिससे लंबाई 1386 किमी हो गई है।



सालाना 3.2 करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी। इससे करीब 3 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी।
55 ऐसी जगहें होंगी जहां लड़ाकू विमान भी उतर सकते हैं। यानी यह एक्सप्रेस-वे रणनीतिक रूप से हमारी ताकत बढ़ाएगा।


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